हाई कोर्ट के डबल बेंच के फ़ैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया स्थगन आदेश,6 हफ़्ते के भीतर प्रशासन को देना होगा जवाब, जगदलपुर से सुमित सेंगर की र...
हाई कोर्ट के डबल बेंच के फ़ैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया स्थगन आदेश,6 हफ़्ते के भीतर प्रशासन को देना होगा जवाब,
जगदलपुर से सुमित सेंगर की रिपोर्ट-
बस्तर को रावघाट से जोड़ने वाली रेललाइन के निर्माण में करीब 100 करोड़ रुपए के मुआवजा घोटाले के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने एक पक्षकार नीलिमा बेलसरिया को बड़ी राहत दी है.सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के मुआवजा लौटने के आदेश पर स्टे दे दिया है.नीलिमा बेलसरिया की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अनुवादित दस्तावेज जमा करने को मंजूरी देते केस को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है.बस्तर जिले के जगदलपुर से रावघाट तक बनने वाली रेल लाइन के लिए ग्राम पल्ली में बली नागवंशी की 25 हेक्टेयर और नीलिमा बेलसरिया की 15 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई थी.इसके बदले उन्हें लगभग 100 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया गया था। हाईकोर्ट में बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड ने ग्रामीण जमीन का अतिरिक्त मुआवजा देने की बात स्वीकार करते हुए राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से यह गड़बड़ी किए जाने की बात कही थी.जगदलपुर रावघाट रेलवे लाइन भूमि अधिग्रहण घोटाले में फंसे दो भूमि स्वामियों की याचिका को हाई कोर्ट की युगलपीठ ने खारिज कर दी थी.कोर्ट की एकलपीठ के फैसले को सही ठहराया था.दरअसल जगदलपुर तहसील में जमीन अधिग्रहण के दौरान दो भूमि नीलिमा टी वी रवि व बलि नागवंशी पर आरोप लगा था कि उनके द्वारा कंपनी के अफसरों से मिलीभगत करते हुए 100 करोड़ रुपए की राशि भूमि अधिग्रहण के बदले हड़प ली गई है.जुलाई से पूर्व हाईकोर्ट में याचिका खारिज कर दी गई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें राहत पहुंचते हुए इस मामले को संज्ञान में लेते हुए, याचिका स्वीकृत कर ली गई है. रेलवे जमीन मुआवजा काण्ड में पीड़ितों ने हाई कोर्ट द्वारा इनके पक्ष में फैसला नहीं सुनाये जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. जिसके बाद प्रार्थी नीलिमा बेल्सरिया ने कलेक्टर बस्तर और रेलवे विभाग को पत्र प्रेषित कर कहा है कि जिला कलेक्टर द्वारा दिनांक 15 जुलाई 2022 से प्राप्त पत्र में कानून के नियमों का पालन नहीं किया गया है;कानून के किस नियम के तहत कलेक्टर ने रजिस्ट्रार को प्रार्थी की अचल संपत्ति को नहीं विक्रय करने का आदेश पारित किया गया था. उक्त पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि हाई कोर्ट द्वारा दिनांक 10 जनवरी और 28 जून को पारित आदेश को कलेक्टर बस्तर द्वारा सही तरीके से अवलोकन नहीं किया गया और प्रार्थी की अचल संपत्ति को विक्रय नही किये जाने का आदेश आनन-फानन में प्रेषित कर दिया गया है.हाई कोर्ट के फैसले और अचल संपत्ति को विक्रय नही करने के आदेश में कोई भी समानता या सम्बन्ध नहीं है. चूँकि, कलेक्टर ने हाई कोर्ट के आदेश का अवलोकन सही तरीके से नहीं किया अतेव प्रार्थी ने उक्त आदेश को वापस लेने कि बात भी लिखी है.नीलिमा ने दायर याचिका के माध्यम से कहा था की उनकी संस्था एक पंजीकृत व्यवसाय चलाती है और अपनी जीविकापार्जन के लिए जमीन क्रय-विक्रय का कार्य करती है. कलेक्टर द्वारा हाई कोर्ट के आदेश का पूर्ण अवलोकन किये बगैर ही आनन-फानन में आदेश जारी कर दिया गया, जिससे प्रार्थी के जीविकापार्जन में परेशानी आ रही है.कलेक्टर द्वारा किसी भी प्रकार का कोई पूर्व नोटिस या सुचना प्रेषित नहीं किया गया जो कि भारतीय संविधान की धारा 14, 19 और 21 का उल्लंघन है. प्रार्थी ने कहा है कि उनके पति की अचल संपत्ति के क्रय-विक्रय पर भी रोक लगा दी गयी जबकि वे इस मामले में पक्षकार ही नहीं हैं कलेक्टर द्वारा दिए गए ऐसे पत्र से कानून व भारतीय संविधान सहित प्रार्थी के पति के अधिकारों का पुर्णतः उल्लंघन है.मामले की सुनवाई करते सुप्रीम कोर्ट ने जिला प्रशासन को 6 हफ्ते के अंदर जवाब माँगाते हुये नीलिमा टीवी रवि को रहत दी है.नीलिमा की तरफ से देश नामी वकील मुकुल रोहतगी राधिका गौतम व राकेश द्विवेदी ने पैरवी की.
क्या है रावघाट रेल परियोजना -
जगदलपुर से रावघाट के बीच 140 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछाने के लिए बस्तर रेलवे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के अधिकारियों द्वारा वर्ष 2018-19 से भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई की जा रही थी.रेलवे लाइन के लिए बस्तर, कोंडागांव व नारायणपुर तीनो जिलों में रेलवे लाइन के लिए कंपनी को जमीन का अधिग्रहण करना है. बस्तर जिले में अधिग्रहण की कार्रवाई पूरी कर ली गई है.कोंडागांव व नारायणपुर जिले में अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है।
कलेक्टर ने भी जारी कर दिया था आदेश
हाईकोर्ट ने 28 जून 2022 को आदेश में कलेक्टर बस्तर ने जगदलपुर अनुविभाग के तहत ग्राम पल्ली स्थित निजी भूमि अधिग्रहण से संबंधित भुगतान की गई राशि को कलेक्टर बस्तर के पीडी खाते में 1 सप्ताह में जमा करने का आदेश दिया था.तय समय सीमा में रकम जमा न होने पर कलेक्टर ने 2 अगस्त को एक और आदेश जारी कर तत्काल रकम जमा करने का निर्देश दिया था. इसके आदेश के खिलाफ नीलिमा बेलसरिया सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
मुआवजा लौटने पर स्टे हैं -
जमीन आवासीय उपयोग के लिए है और निगम सीमा से लगी हुई है.जिसकी कीमत दूसरी जमीन से ज्यादा है. हाईकोर्ट ने इस मामले में प्रस्तुत याचिका में इस्कान के अधिकारी सुरेश बी मताली और एवीआर मूर्ति के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया था. जबकि सिंगल बेंच के 10 जनवरी 2022 के आदेश को बरकरार रखते नीलिमा और बली नागवंशी की याचिका को खारिज कर दिया था...
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