लद्दाख 19 मार्च 2024 । लद्दाख के मशहूर क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के आमरण अंशन को 13 दिन बीत चुके हैं. उनके साथ 1500 लोग सोमवार को एक दिवसीय भूख हड़ताल पर थे. उन्होंने एक वीडियो शेयर किया और बताया कि कैसे 250 लोग उनके समर्थन में रात को भूखे सोए. वांगचुक लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, जो प्रदेश के स्थानीय लोगों को आदिवासी इलाके में एडमिनिस्ट्रेशन का अधिकार देगा.
सोनम वांगचुक
ने कहा, ‘जब विविधता में एकता की बात आती है तो छठी अनुसूची भारत की उदारता का प्रमाण
है. यह महान राष्ट्र न सिर्फ विविधता को सहन करता है बल्कि उसे प्रोत्साहित भी करता
है.’ उन्होंने 6 मार्च को '#SAVELADAKH, #SAVEHIMALAYAS' के अभियान के साथ 21 दिनों
का आमरण अंशन शुरू किया था. उन्होंने कहा था कि यह अंशन जरूरत पडऩे पर आगे भी बढ़ाया
जा सकता है.
सोनम वांगचुक
ने क्या कहा?
सोनम वांग्चुक
ने वीडियो जारी कर सोशल मीडिया पर चल रहे भ्रम को दूर करने की कोशिश की है. उन्होंने
बताया कि छठी अनुसूची का मकसद सिर्फ बाहरी लोगों को ही रोकना नहीं है, बल्कि पर्यावरण
के लिहाज से संवेदनशील इलाके या संस्कृतियां-जनजातियां सभी को स्थानीय लोगों से भी
बचाने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि इसके लागू होने के बाद से स्थानीय लोगों से भी
इन्हें बचाया जा सकेगा. मशहूर सोशल एक्टिविस्ट ने विस्तार से बताया कि आखिर उनके आमरण
अनशन की क्या वजह है. उन्होंने कहा कि जहां तक उद्योग की बात है तो जो इलाके संवेदनशील
नहीं हैं, उन्हें इकोनॉमिक जोन बनाया जा सकता है, ताकि उद्योग लगे, देश-दुनिया से निवेश
हो. इसमें लद्दाख के लोगों को कोई मसला नहीं है.
क्या है छठी
अनुसूची ?
सोनम वांगचुक
और स्थानीय लोग लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं.
धारा 370 खत्म किए जाने के बाद लद्दाख एक केंद्रशासित प्रदेश बन गया है, और जम्मू कश्मीर
में विधानसभा की तरह यहां कोई स्थानीय काउंसिल नहीं है.
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