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कंस्ट्रक्शन कंपनी के दो सुपरवाइजर गिरफ्तार, रेल अधिकारियों को बचाने नहीं हुई FIR

रायपुर । उरकुरा रेलवे फाटक के पास शालीमार एक्सप्रेस में रविवार को सुबह हुए हादसे मामले में आरपीएफ ने मेसर्स सिद्धि विनायक कंस्ट्रक्शन कंपनी बिलासपुर के दो सुपरवाइजरों को गिरफ्तार कर शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया। दोनों से पूछताछ करने के लिए दो दिन का रिमांड मांगा गया। कोर्ट ने रिमांड मंजूर कर लिया। इससे पहले एफआइआर में आरोपित बनाए गए ड्रिलिंग मशीन आपरेटर राज गौंड और कैलाश पटेल को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।

आरपीएफ के सूत्रों ने बताया कि रेल हादसे की जांच के दौरान बिजली कंपनी के ठेकाकर्मी ड्रिलिंग मशीन आपरेटर राज गौंड ने कंस्ट्रक्शन कंपनी के सुपरवाइजर बालाघाट (मप्र) निवासी राजशेखर यादव और गुढ़ियारी निवासी अमर रैकवार के कहने पर बिना शेड्यूल के लोकेटर ड्रिलिंग मशीन पर पुशिंग का काम करना बताया था। जेल भेजे गए दोनों आपरेटरों के पास ठेका कंपनी का अधिकार पत्र भी नहीं था। लिहाजा दोनों सुपरवाइजरों को गिरफ्तार कर कोर्ट से दो दिन का रिमांड पर लिया गया है। इनसे पूछताछ में आगे जो भी तथ्य आएंगे उसके आधार पर कार्रवाई होगी।

मामले में रेलवे के अधिकारियों को बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है। दरअसल यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा रेलवे के अधिकारियों के हाथों में है, लेकिन रेलवे ने अपनी लापरवाही का पूरा ठीकरा बिजली कंपनी पर फोड़ने की कोशिश की है। जब अधिकारियों ने नियम-कायदा बताया तो फंसने के डर से खमतराई थाने में केस दर्ज न कराकर आरपीएफ को ही पूरा मामला सौंप दिया गया।

आरपीएफ ने दर्ज किए गए रेलवे एक्ट की धारा 153,174 और 147 की एफआइआर में मेसर्स सिद्धि विनायक कंस्ट्रक्शन बिलासपुर के कांट्रेक्टर सुदेश राजपूत समेत सुपरवाइजरों का नाम शामिल नहीं किया है। सुपरवाइजरों की गिरफ्तारी के बाद चर्चा है कि कांट्रेक्टर पर सीधे कार्रवाई करने से आरपीएफ बच रही है। बिजली कंपनी के अधिकारियों का भी रेलवे के अधिकारियों पर दबाव है।

हालांकि उरकुरा रेलवे फाटक पर अंडरग्राउंड केबलिंग का काम लापरवाही पूर्वक ठेकाकर्मियों के भरोसे करा रहे कांट्रेक्टर सुदेश राजपूत को मुख्य अभियंता (परियोजना) ने कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ ही उसकी कंपनी के पंजीयन को अस्थायी तौर पर निलंबित कर दिया है। वहीं आगामी तीन वर्ष तक कंपनी को निविदा में भाग लेने पर प्रतिबंधित किया है। साथ ही कंपनी में जमा एफडीआर की राशि भी राजसात कर ली गई है।

शालीमार एक्सप्रेस में रविवार को हुई दुर्घटना के बाद सवाल उठने लगे हैं कि रेलवे प्रशासन यात्रियों की सुरक्षा करने में पूरी तरह नाकाम है। यही कारण है कि यात्री भगवान भरोसे ट्रेन में सफर कर रहे हैं। रेलवे की संपत्ति पर कोई होल कर रहा हो और रेलवे अधिकारियों का यह कहना कि उन्हें पता नहीं था?

पूरी तरह से गैर जिम्मेदाराना है। बिजली कंपनी को रेलवे ने ही अंडरग्राउंड केबलिंग के काम करने की अनुमति दी थी। बार-बार पेटी कांट्रेक्टर बदलने से ऊहापोह की स्थिति बनी रही। जब केबलिंग के लिए होल किया जा रहा था, तब पेटी कांट्रेक्टर के दो आपरेटर ही मौके पर थे।


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