रायपुर, 24 दिसम्बर 2025 राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं अब कागजों से निकलकर जमीन पर असर दिखा रही हैं। खासतौर पर मत्स्य पालन को बढ़ावा देने वाली योजनाओं ने ग्रामीण इलाकों में स्वरोजगार के नए रास्ते खोले हैं। इन योजनाओं से जुड़कर किसान न सिर्फ अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं, बल्कि आत्मनिर्भर जीवन की ओर भी कदम बढ़ा रहे हैं। ऐसी ही एक मिसाल बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के ग्राम हरिगंवा के किसान मुन्नालाल गोलदार हैं।
वाड्रफनगर विकासखंड के हरिगंवा गांव निवासी मुन्नालाल गोलदार पहले पारंपरिक खेती पर निर्भर थे, जिससे सीमित आमदनी हो पाती थी। लेकिन जब उन्होंने मत्स्य विभाग के मार्गदर्शन में शासन की योजनाओं का लाभ लिया, तो उनकी जिंदगी की दिशा ही बदल गई। उन्होंने हरिगंवा जलाशय को पट्टे पर लेकर मछली पालन की शुरुआत की और सघन मत्स्य पालन तकनीक को अपनाया।
मुन्नालाल ने रोहू, कतला, मृगल और कॉमन कार्प जैसी उन्नत मछली प्रजातियों का पालन किया। बेहतर प्रबंधन, नियमित देखरेख और आधुनिक तकनीक के उपयोग का नतीजा यह हुआ कि आज उन्हें मछली पालन से हर साल करीब 2 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हो रहा है। इस काम में उनके परिवार के सदस्य भी सहयोग कर रहे हैं, जिससे परिवार को रोजगार का स्थायी साधन मिला है।
मुन्नालाल बताते हैं कि स्थानीय बाजार में मछलियों की मांग हमेशा बनी रहती है, इसलिए बिक्री में कोई दिक्कत नहीं आती। मछली पालन से मिलने वाली स्थायी आमदनी ने उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाया है। अब वे भविष्य में आय के और साधन जोड़ने की योजना बना रहे हैं। उनका कहना है कि वे तालाब के पास कुक्कुट शेड लगाकर मछली पालन के साथ-साथ मुर्गी पालन भी शुरू करना चाहते हैं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों और मछुआरों को तालाब निर्माण, मछली बीज, परिपूरक आहार और जरूरी उपकरणों पर अनुदान दे रही है। इन्हीं योजनाओं का लाभ लेकर मुन्नालाल जैसे किसान मछली पालन को एक लाभकारी और स्थायी व्यवसाय के रूप में स्थापित कर रहे हैं।


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